आरक्षण या भक्षण - रामजी रामेष्ट दौदेरिया

शीर्षक -  आरक्षण या भक्षण 
कवि  -  रामजी रामेष्ट दौदेरिया 


    आरक्षण रुपी भक्षण ये कौन देश में लाया 
प्रतिभाशालियों की प्रतिभा में दीमक इस ने लगाया  

प्रतियोगिता की हौड़  में 
गधे जीते दौड़ में 
बाँध घोड़ों के बेड़ी पाव में 
गधों को जिताया 

    आरक्षण रुपी भक्षण ये कौन देश में लाया 
प्रतिभाशालियों की प्रतिभा में दीमक इस ने लगाया 

  भारत क्या ऐसे बनेगा  विश्व गुरू 
यहाँ हर काम आरक्षण से होता शुरू 
 यहाँ आरक्षण के हैं अध्यापक 
              मार दी शिक्षा की जक 

 ये आरक्षण के शिक्षक 
बच्चों को बना देगे भिक्षक 
मर रही प्रतिभा,भविष्य हो रहा जाया
आरक्षण से देश का विकास ना हो पाया

    आरक्षण रुपी भक्षण ये कौन देश में लाया
प्रतिभाशालियों की प्रतिभा में दीमक इस ने लगाया 

आरक्षण से बने इंजीनियर के बने पुल हैं गिर जाते 
जन,धन की होती हानि कितने निर्दोष मर जाते
         आरक्षण से बने डॉक्टर
बीमारी का नहीं, बीमार का कर देते भक्षण 
प्रतिभा इसे नजर ना आती कैसा ये दर्पण है
  सच बोलूं तो एक आरक्षण रुप में भक्षण है 

इस आरक्षण ने अब तक कितना हुनर हैं खाया 
    आरक्षण रुपी भक्षण ये कौन देश में लाया 
प्रतिभाशालियों की प्रतिभा में दीमक इस ने लगाया 
                                          - रामजी रामेष्ट दौदेरिया 
                             

             

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