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संतों को न्याय मिले - रामजी रामेष्ट दौदेरिया

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      शीर्षक - संतों को न्याय मिले  कवि  -  रामजी रामेष्ट दौदेरिया  भारत पुरातन से तपों भूमि अनंतों की हैं     ऋषी मुनि सन्यासी संतों की हैं  परंतु आज इन से ही हैवानियत हो रही है     शर्मसार आज इंसानियत हो रही है   गद्दारो की भीड़ ने संतों पर आघात किया  हत्यारों ने बहुत कुरुरता से संतों पर घात किया    हृदय को बहुत दुख हुआ बहुत शोक हुआ  संतों की हत्या से हम को बहुत अफ़सोस हुआ     हत्यारों ने लाठी पत्थरों से उन पर वार बार बार किए  जब तक उन की मौत नहीं हो गई तब तक उन पर प्रहार किए          खाकी वाले मूक दर्शक बने खड़े रहें  संत जीवन की भीख माँगते उन के चरणों में पड़े रहें  जो कहते ज़रा ज़रा सी बात में देश का महौल हो रहा आशांत         अब क्यों वे नेता मौन धारण किए बैठें हैं शांत       जो कहते हैं डर लगता इस देश में हम डरें हुए हैं  अब क्यों उन की जुबान नहीं खुलती अब क्या वे मरे हुए हैं     कब मिलेगा न्याय संतों को कब बदला लिया जाएगा  क्या तब जागेगा सनातन जब शिकार अगला किया जाएगा  फाँसी पर लटका दो या ज़िंदा जला दो   हत्यारों को कठोर मौत की सजा दो  तभी संतों के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि ह

सच्चा सन्यासी सच्चा राजा - रामजी रामेष्ट दौदेरिया

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उत्तर प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के पिता जी आनंद सिंह बिष्ट जी को भावपूर्ण श्रद्धांजलि भगवान इनकी आत्मा को शांति प्रदान करें ॐ शांति ॐ शांति 🙏🙏        जो लोग बोल रहे हैं की योगी जी अपने पिता के अंतिम दर्शन भी करने नही गये कैसे पुत्र है, मै उन लोगों से कहना चाहता हूँ योगी जी जैसा साहस हर किसी में नही होता प्रदेश के लिए देश के लिए जन कल्याण के लिए इतना त्याग और परिश्रम साधारण लोग नही कर सकते, योगी जी का व्यक्तित्व असाधारण त्याग बलिदान का व्यक्तित्व है ! आज उन की तुलना श्री राम से करूँ तो गलत नही होगा ... जब भगवान श्री राम माता सीता भाई लक्ष्मण के साथ वन में थे तब उन्हें अपने पिता राजा दशरथ की मृत्यु का पता चला फिर भी वे उन के अंतिम दर्शन अंतिम संस्कार में नही गये , ऐसा नही की उन्हें अपने पिता की मृत्यु का शोक नही था उन्हें बहुत शोक था परंतु पिता का वचन ना टूटे इसलिए अंतिम संस्कार में नही जा सके ! हमारे माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के सामने भी ऐसी ही धर्म संकट की स्तिथि थी जब योगी जी को अपने पिता की मृत्यु का समाचार मिला तो उन्हें अपार दुख शोक हुआ

देखना ये है - रामजी रामेष्ट दौदेरिया

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शीर्षक -  देखना ये है  कवि -  रामजी रामेष्ट दौदेरिया  रात तो गुजर ही जाएगी समय के साथ - साथ  अब देखना ये है दीप जलाता कौन - कौन हैं  अंधेरा तो ढल ही जाएगा समय के साथ - साथ  अब देखना ये है उजाला करता कौन - कौन हैं  बुरा समय तो टल ही जाएगा समय के साथ - साथ  अब देखना ये है साथ आता कौन - कौन हैं  मंज़िल तो मिल ही जाएगी रास्ता चलते - चलते  अब देखना ये है रास्ते में ठोकरें आती कितनी है  सफल तो हो ही जाएंगे महेनत करते - करते  अब देखना ये है फल मिलने में देर लगती कितनी है  भगवान के दर्शन हो ही जाएंगे भक्ति करते - करते  अब देखना ये है भक्ति में शक्ति कितनी है   अनुभव तो हो ही गया सफ़र में बढ़ते - बढ़ते  अब देखना ये है सही रास्ता बताता कौन - कौन हैं   सच्चाई तो बता ही देगे अदालत लगते - लगते  अब देखना ये है झूठ बोलता कौन - कौन हैं  ज़िंदगी से जंग तो जीत ही जाएंगे लड़ते लड़ते  अब देखना ये है मौत से पहले अपना कौन - कौन हैं  रात तो गुजर ही जाएगी समय के साथ - साथ  अब देखना ये है दीप जलाता कौन - कौन हैं  अंधेरा तो ढल ही जाएगा समय के साथ - साथ  अब देखना ये है उजाला करता कौन - कौन हैं  बुरा समय तो टल ही जाएगा