ये नया भारत है - रामजी रामेष्ट दौदेरिया
शीर्षक - ये नया भारत है कवि - रामजी रामेष्ट दौदेरिया चीन की जो चालाकी मक्कारी है उस के नस - नस में भरी गद्दारी है सब से उसकी स्वार्थ की यारी है हाथ मिलाकर धोखेबाज़ी करता हर बारी है खत्म अब समझो चीन की कहानी सारी है निकल जाएगी उसकी की सारी होशियारी है १९६२ मत समझ लेना, ये २०२० की तैयारी है हमारा एक जवान चीन के एक हज़ार पर भारी है - रामजी रामेष्ट दौदेरिया रामजी रामेष्ट दौदेरिया