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ये नया भारत है - रामजी रामेष्ट दौदेरिया

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शीर्षक - ये नया भारत है  कवि - रामजी रामेष्ट दौदेरिया       चीन की जो चालाकी मक्कारी है       उस के नस - नस में भरी गद्दारी है            सब से उसकी स्वार्थ की यारी है  हाथ मिलाकर धोखेबाज़ी करता हर बारी है       खत्म अब समझो चीन की कहानी सारी है  निकल जाएगी उसकी की सारी होशियारी है  १९६२ मत समझ लेना, ये २०२० की तैयारी है  हमारा एक जवान चीन के एक हज़ार पर भारी है                                           - रामजी रामेष्ट दौदेरिया  रामजी रामेष्ट दौदेरिया 

पर्यावरण का चीर हरण - रामजी रामेष्ट दौदेरिया

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लेख -  रामजी रामेष्ट दौदेरिया  आज विश्व पर्यावरण दिवस है कैसे दूँ मैं इस की शुभकामनाएँ, वर्तमान में लोग पर्यावरण का चीर हरण कर रहें हैं लोग पर्यावरण के प्रति जागरुक नहीं शायद ही कोई एक पेड़ भी लगाता हो उल्टा लोग पर्यावरण को नुकसान ही पहुँचाते जंगल के जंगल आज समाप्त होते जा रहें लोग पेड़ों को काटते जा रहें, लोग ये मत भूलें की हम इस धरती के मालिक नहीं हैं, इस धरती की मालिक प्रकृति है और हम उस के मेहमान हैं हम तो प्रकृति के घर ( धरती ) पर कुछ समय के लिए आए हैं समय सीमा समाप्त हो जाएगी और हमें यहाँ से जाना पड़ता हम चाह फ़िर भी नहीं रुक सकते क्योंकि हमें लेने मृत्यु आएगी और मृत्यु अटल है वो किसी की बात नहीं मानती, बस यूँ समझ लीजिए ईश्वर ने धरती पर भेजने से पहले हमें बीजा दिया हैं और बीजा समाप्त होते ही हम यहाँ से चलें जाएंगे, इस धरती के भी कानून हैं जिन्हें हम हर रोज़ तोड़ रहे हैं जैसे पर्यावरण को नुकसान पहुँचाना पेड़ों को काटना पानी अन्न भोजन बर्बाद करना जीव जंतुओं को सताना उन के साथ कुरुरता करना उन्हें मारना उन के प्राण ले लेना ( इंसान धरती के कानून तोड़ रहें उनकी सजा उन्हें भुगतनी पड़ेगी और यही