पर्यावरण का चीर हरण - रामजी रामेष्ट दौदेरिया

लेख -  रामजी रामेष्ट दौदेरिया 

आज विश्व पर्यावरण दिवस है कैसे दूँ मैं इस की शुभकामनाएँ, वर्तमान में लोग पर्यावरण का चीर हरण कर रहें हैं लोग पर्यावरण के प्रति जागरुक नहीं शायद ही कोई एक पेड़ भी लगाता हो उल्टा लोग पर्यावरण को नुकसान ही पहुँचाते जंगल के जंगल आज समाप्त होते जा रहें लोग पेड़ों को काटते जा रहें, लोग ये मत भूलें की हम इस धरती के मालिक नहीं हैं, इस धरती की मालिक प्रकृति है और हम उस के मेहमान हैं हम तो प्रकृति के घर ( धरती ) पर कुछ समय के लिए आए हैं समय सीमा समाप्त हो जाएगी और हमें यहाँ से जाना पड़ता हम चाह फ़िर भी नहीं रुक सकते क्योंकि हमें लेने मृत्यु आएगी और मृत्यु अटल है वो किसी की बात नहीं मानती, बस यूँ समझ लीजिए ईश्वर ने धरती पर भेजने से पहले हमें बीजा दिया हैं और बीजा समाप्त होते ही हम यहाँ से चलें जाएंगे, इस धरती के भी कानून हैं जिन्हें हम हर रोज़ तोड़ रहे हैं जैसे पर्यावरण को नुकसान पहुँचाना पेड़ों को काटना पानी अन्न भोजन बर्बाद करना जीव जंतुओं को सताना उन के साथ कुरुरता करना उन्हें मारना उन के प्राण ले लेना ( इंसान धरती के कानून तोड़ रहें उनकी सजा उन्हें भुगतनी पड़ेगी और यहीं भुगतनी पड़ेगी ) 
जीव जंतु वन पहाड़ नदियाँ झील सागर जल अन्न भोजन ये सारा पर्यावरण प्रकृति के घर ( धरती ) के सदस्य हैं जब हम धरती पर आते हैं तो सारा पर्यावरण हमारा स्वागत करता है हमें इन से कोई नुकसान नहीं है परंतु आज मानव दानव बन चुका है आज इंसान बहुत बेशरम कुरुर हिंसक दुष्ट हो गया और जिस के घर मेहमान बन कर आए उसी ( प्रकृति ) के घर का नुकसान करने लगे उसी ( प्रकृति ) के घर ( धरती ) के सदस्यों ( पर्यावरण, वन वृक्ष पहाड़ नदियाँ झील सागर जल अन्न भोजन जीव जंतुओं बेजुबानों ) को क्षति पहुँचाने लगे पीड़ा देने लगे और उन के प्राण लेने लगे, पर्यावरण को नुकसान पहुँचा कर इंसान अपनी चिता स्वयं तैयार कर रहें हैं इंसान अपने पतन का कारण स्वयं होगे 
प्लास्टिक पर्यावरण का सबसे बड़ा दुश्मन 
आज मानव अपने दैनिक जीवन में प्लास्टिक का बहुत बड़ी संख्या उपयोग कर रहा है, एक तरह से हमें इसकी आदत सी पड़ गईं है हर इंसान रोज़ कई तरह से प्लास्टिक उपयोग कर रहा है नमकीन, बिस्किट, दूध, घी, बेसन, दलिया, दाल, मसाले, गुटखा तम्बाकू आदि बाजार में बिकने वाला हर उत्पाद  के पैकेट प्लास्टिक निर्मित होते हैं इसके अलावा प्लास्टिक के बैग थैला प्लास्टिक की बोतलें पानी, नीबू पानी फलरस  (जूस ) शीतलपेय ( कोल्डड्रिंक ) दवा सिरप, शराब की बोतल ,गिलास दौना, पत्तल, आदि प्लास्टिक निर्मित होते हैं इस तरह से हम अधिक से अधिक प्लास्टिक उपयोग करते हैं जो की मानव जीवन और पर्यावरण के लिए बहुत हानिकारक है 
इंसान के लिए हानिकारक प्लास्टिक, खाने व पीने वाले पदार्थ में प्लास्टिक उपयोग से कई तरह की बीमारियाँ हो सकती हैं कैंसर भी हो सकता है 

पशुओं के लिए हानिकारक प्लास्टिक, हम प्लास्टिक कूड़ा के रूप में यहाँ वहाँ सड़क रास्ते कई जगह फेक देते और बेजुबान पशु इसे खा जाते हैं प्लास्टिक पशुओं  के लिए मौत बन जाता है 

पर्यावरण के लिए हानिकारक प्लास्टिक,  प्लास्टिक के पैकेट बैग थैला प्लास्टिक की बोतलें आदि ये सब कूड़ा हो कर खेतों में चलें जाते हैं धीरे धीरे ज़मीन के अंदर घुस जाते हैं, इस तरह बहुत सारी प्लास्टिक ज़मीन के अंदर पहुँच जाती है प्लास्टिक कभी गलती नहीं है और धीरे धीरे ये ज़मीन को बंजर बना देती, ज़मीन के अंदर जहाँ जहाँ प्लास्टिक होती वहाँ कोई फसल कोई पेड़ पौधे नहीं उग पाते 
प्लास्टिक हमारे पानी को भी दूषित करते है प्लास्टिक जल स्त्रोत के नीचे फँस जाते हैं और पानी को दूषित करते रहते है कभी कभी पानी आना बंद भी हो जाता है, झील नदियाँ तालाब सागर के पानी प्लास्टिक से दूषित हो जाते हैं 
अगर हमें मानव जीवन को बचाना बेजुबानों को बचाना पर्यावरण को बचाना तो हमें प्लास्टिक का बहिष्कार करना ही होगा हमें अपने दैनिक जीवन में प्लास्टिक उपयोग नहीं करनी है हमें प्लास्टिक नहीं उपयोग करने की आदत डालनी होगी और प्लास्टिक उपयोग करने की आदत छोड़नी होगी लेकिन अभी तक ऐसा कुछ दिख नहीं रहा 
विश्व पर्यावरण दिवस पर अत्यंत दुखी मन से विश्व पर्यावरण दिवस की शुभकामनाएँ देते हुए पर्यावरण प्रकृति को मैं मेरी लिखी कविताएँ की कुछ पंक्तियाँ समर्पित करता हूँ 

  वृक्षों के काटने से कष्ट नहीं होते वन को 
वृक्ष अगर काटोगे तो हानि होगी जन-जन को 

 हम ही घोला सारे वायुमंडल में प्रदूषण 
 प्रकृति के दुश्मन हम बन गए खरदूषण 

प्रकृति ने हमें अमृत दिया हम ने इसे ज़हर किया 
     अपना जीवन स्वयं हम ने कहर किया 

 प्रदूषण घोल हम दूषित कर रहें पर्यावरण 
हम बेशर्मी से प्रकृति का कर रहें चीर हरण 
                                        - रामजी रामेष्ट दौदेरिया 

गर्भवती हथिनी के साथ हुईं कुरुरता पर मेरी लिखी कविता भी ज़रूर पढ़े 
 
रामजी रामेष्ट दौदेरिया 
     इंसानियत शर्मसार हो गईं मानवता कलंकित हो गईं 

                  

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