ताजमहल नहीं है प्यार की निशानी, क्यों नहीं है जाने कविता के जरिए, रामजी रामेष्ट दौदेरिया की कविता

  शीर्षक - ताजमहल नहीं है निशानी प्यार की 
          कवि - रामजी रामेष्ट दौदेरिया 
    ताजमहल नहीं है निशानी प्यार की 
 ये कब्र कहानी बयाँ करती अत्याचार की 

    प्यार की निशानी तो है राम सेतु 
बनाया गया जिसे सियाराम मिलन हेतु 

प्यार की निशानी तो पर्वत काट रास्ता बनाना है 
 दशरथ मांझी का ये प्यार मेहनत का खजाना है 

प्यार की निशानी तो मंदिर और गुरुद्वारा है 
  गुरुद्वारा में लंगर और मंदिर में भंडारा है 

    ताजमहल नहीं है निशानी प्यार की 
ये कब्र कहानी बयाँ करती अत्याचार की 

ताजमहल बनाया था जिन-जिन कारीगर कर्मचारी ने 
हाथ उन सब के कटवा दिए थे शाहजहाँ अत्याचारी ने 

ताज महल घूमने जाना 
तस्वीर उसकी घर लाना 

माना वह अद्भुत है 
पर वह अशुभ है 

       है तो एक कब्रिस्तान ही 
प्यार नहीं, हवस उसकी पहचान ही 

ताजमहल से अद्भुत अतिसुन्दर मंदिर हैं हमारे देश में 
   मानव कल्याण और वरदान है मंदिरों के संदेश में 

मंदिर जाओ दर्शन करो घर लाओ उनके चित्र 
    मंदिर में बैठे ईश्वर ही है हमारे सच्चे मित्र 

स्वयं की बुद्धि से सोच विचार करो जरा 
  जिस का दिल ही था नफरत से भरा 

       वो क्या बनवाएगा निशानी प्यार की 
जो हर वक्त लिखता था कहानी अत्याचार की 

प्यार की निशानी तो मंदिर और गुरुद्वारा है 
  गुरुद्वारा में लंगर और मंदिर में भंडारा है 

प्यार की निशानी तो पर्वत काट रास्ता बनाना है 
 दशरथ मांझी का ये प्यार मेहनत का खजाना है 

     प्यार की निशानी तो है राम सेतु 
बनाया गया जिसे सियाराम मिलन हेतु 

    ताजमहल नहीं है निशानी प्यार की 
 ये कब्र कहानी बयाँ करती अत्याचार की 
                                     - रामजी रामेष्ट दौदेरिया 
 रामजी रामेष्ट दौदेरिया  - लेखक कवि 


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