हिन्दुस्तान की शान किसान - रामजी रामेष्ट दौदेरिया

शीर्षक - हिन्दुस्तान की शान किसान 
 कवि  - रामजी रामेष्ट दौदेरिया 

हम करते किसान का गुणगान 
हिन्दुस्तान की शान, किसान 

जिस के कंधे पर सारे भूमंडल भार है 
उस धरती पुत्र को प्रणाम बारंबार है 
देश की खुशहाली हरयाली जिस का चमत्कार है 
सारी दुनिया को उस किसान पर आभार है 
बंजर भूमि में भी उगा दे धान 
हिन्दुस्तान की शान, किसान 

सारे जग का पेट है भरता 
 हर मौसम श्रम है करता 
सर्दी,गर्मी चाह हो बरसात 
सुबह,दोपहर,शाम चाह काली हो रात 
राष्ट्र को रखना चाहिए उस के श्रम का मान 
       हिन्दुस्तान की शान, किसान 

किसान की फसल का सही दाम दे सरकार 
प्रकृति आपदा में भी मेहनत ना जाए बेकार 
फंड बीमा पेंशन किसान का भी अधिकार 
 एक बार इस पर भी विचार करें सरकार 
     उन्हें भी मिले उन का सम्मान 
      हिन्दुस्तान की शान, किसान 

धरती से उगाता जो सोना 
फिर क्यों पड़ता उन्हें  रोना 
कर्ज तले ना दबे कोई किसान 
ना देनी पड़े किसी को अपनी  जान 
कर्ज मुक्त हो किसान सारा हिन्दुस्तान 
हिन्दुस्तान की शान, किसान 

हम करते किसान का गुणगान 
हिन्दुस्तान की शान, किसान 
                                     - रामजी रामेष्ट दौदेरिया 
     
 रामजी रामेष्ट दौदेरिया 


भोजन जन-जन का अधिकार 


 

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