ज़रूरत पड़े मंहगाई और बढ़ा दो - रामजी रामेष्ट दौदेरिया
शीर्षक - ज़रूरत पड़े मंहगाई और बढ़ा दो
कवि - रामजी रामेष्ट दौदेरिया
मंहगाई बढ़ रही तो बढ़ने दो
सैनिकों को आज़ादी से लड़ने दो
सारे देश का पैसा सेनाओं पर लगा दो
ज़रूरत पड़े मंहगाई और बढ़ा दो
नहीं है चिन्ता मंहगाई की
देश हित में खर्च होती अपनी कमाई की
आज ज़रूरत है सेनाओं को मजबूत करने की
देश के दुश्मनों से लड़ने की
आधुनिक अस्त्र शस्त्र से सुसज्जित सेनाओं को कर दो
मनोबल अपनी सेनाओं में, खौफ दुश्मनों में भर दो
सारे देश का पैसा सेनाओं पर लगा दो
ज़रूरत पड़े मंहगाई और बढ़ा दो
देश हम से माँग रहा बस एक कुर्बानी
कितनी ही मंहगी हो स्वदेशी ही अपनानी
इस समय रोना उचित नहीं मंहगाई की मार पर
आलोचना करना उचित नहीं सरकार पर
इस समय देश हमारा जूझ रहा संकट काल से
मंहगाई तो ठीक है, शुक्र है जूझ नहीं रहा आकाल से
दुनिया की अर्थव्यवस्थाऐ चौपट हो गईं कोरोना काल से
हमें घबराना नहीं चाहिए आज मंहगाई के जाल से
सरकार इस समय मंहगाई का मुद्दा हटा दो
सर्वोपरि देश रक्षा में अपना ध्यान सारा लगा दो
सारे देश का पैसा सेनाओं पर लगा दो
ज़रूरत पड़े मंहगाई और बढ़ा दो
- रामजी रामेष्ट दौदेरिया
रामजी रामेष्ट दौदेरिया
लेखक, कवि
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें