सत्तर सालों से किसान का हाल वैसे का वैसा ही है, क्या अब तस्वीर बदल पायेगी - रामजी रामेष्ट दौदेरिया
शीर्षक - क्या अब बदल पाएगा किसान का हाल
कवि - रामजी रामेष्ट दौदेरिया
सत्तर सालो से किसान का हाल वैसे का वैसा ही है
अब देखना ये है नया बिल से बदलता क्या-क्या है
अब तक बहुत सारे बिल देखे संसद में पारित होते
अब देखना ये है नया बिल से फायदा क्या-क्या है
होगा फायदा या नुकसान मचा घमासान इस सवाल से
कौन परिचित नहीं है आज किसान के हाल से
समस्या वैसी की वैसी ही है ये तो सत्तर साल से
व्यापारी अधिकारी मालामाल हो रहें किसान के माल से
क्या ये नया बिल बचा पाएगा किसान को बेहाल से
कर्ज, बाढ़, सूखा और बढ़ते अकाल से
क्या अब किसान मुक्त हो पाएगा भ्रष्टाचार के जाल से
सत्तर साल से किसान बेहाल
क्या अब बदल पाएगा किसान का हाल
रामजी रामेष्ट दौदेरिया
लेखक,कवि
हिन्दुस्तान की शान किसान
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