सब की करतूत देखता बंदर - रामजी रामेष्ट दौदेरिया

शीर्षक -  सब की करतूत देखता बंदर 
कवि -  रामजी रामेष्ट दौदेरिया 


* गाना गाता है एक सिंगर
 सब की करतूत देखता बंदर

नाई की कटिंग
दर्जी की फिटिंग
बिजली का करैंट
बेईमान कंजूस का पेमैंट
मूर्ख की भी देखी चतुराई
बजते चोर के जैसे कपड़ों की धुलाई

बच्चे करते शोर सोता टीचर
गाना गाता है एक सिंगर
सब की करतूत देखता बंदर

* फिर बंदर ने देखा बनिये की दुकान पे
 बंदर जा कर लटका हाथी के कान पे
 फिर बंदर ने देखे दुकान पे फल लटके
 बंदर झट से कूदा सारे फल झपटे
 फिर बंदर ने खाया आम
 तब जा कर किया आराम
 दुकानदार घुस गया डर कर अंदर

 गाना गाता है एक सिंगर
 सब की करतूत देखता बंदर
                                   - रामजी रामेष्ट दौदेरिया 
         
        रामजी रामेष्ट दौदेरिया 






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