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अक्तूबर, 2019 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

आरक्षण या भक्षण - रामजी रामेष्ट दौदेरिया

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शीर्षक -  आरक्षण या भक्षण  कवि  -  रामजी रामेष्ट दौदेरिया      आरक्षण रुपी भक्षण ये कौन देश में लाया  प्रतिभाशालियों की प्रतिभा में दीमक इस ने लगाया   प्रतियोगिता की हौड़  में  गधे जीते दौड़ में  बाँध घोड़ों के बेड़ी पाव में  गधों को जिताया      आरक्षण रुपी भक्षण ये कौन देश में लाया  प्रतिभाशालियों की प्रतिभा में दीमक इस ने लगाया    भारत क्या ऐसे बनेगा  विश्व गुरू  यहाँ हर काम आरक्षण से होता शुरू   यहाँ आरक्षण के हैं अध्यापक                मार दी शिक्षा की जक   ये आरक्षण के शिक्षक  बच्चों को बना देगे भिक्षक  मर रही प्रतिभा,भविष्य हो रहा जाया आरक्षण से देश का विकास ना हो पाया     आरक्षण रुपी भक्षण ये कौन देश में लाया प्रतिभाशालियों की प्रतिभा में दीमक इस ने लगाया  आरक्षण से बने इंजीनियर के बने पुल हैं गिर जाते  जन,धन की होती हानि कितने निर्दोष मर जाते          आरक्षण से बने डॉक्टर बीमारी का नहीं, बीमार का कर देते भक्षण  प्रतिभा इसे नजर ना आती कैसा ये दर्पण है   सच बोलूं तो एक आरक्षण रुप में भक्षण है  इस आरक्षण ने अब तक कितना हुन

जाने भारतवर्ष की महानता कविता के जरिए भारत की महानता का वर्णन, मेरा भारतवर्ष महान है - रामजी रामेष्ट दौदेरिया

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शीर्षक -  मेरा भारतवर्ष महान है  कवि  -  रामजी रामेष्ट दौदेरिया  मेरा भारतवर्ष महान है महान है महान है सारे जग से प्यारा न्यारा देश हमारा हैं इस देश की रक्षा करना कर्तव्य हमारा हैं             मेरा देश मेरा अभिमान है  हिन्दी यहाँ की मातृभाषा, यही तो हिन्दुस्तान है   भारतवर्ष महान है महान है महान है इस देश में जन्म लिया बलिदान इसी पर हो जाएंगे  इस देश के लिए हम अपने प्राण तक गवाएंगेे   देश को अपने और महान बनाएंगेे  हमारा यही तो ज्ञान निधान है  अपने देश पर हम बार बार कुर्बान है भारतवर्ष महान है महान है महान है यहाँ की नदिया यहाँ के पर्वत यहाँ के वन उपवन यहाँ मिट्टी यहाँ का जल,स्वच्छ चलती यहाँ पवन सुंदर सुंदर यहाँ की प्रकृति,जय हो माँ भारती       तन मन में हिम्मत ज्ञान सदा हो भरती       ये सब यहाँ  की पहचान है     भारतवर्ष महान है महान है  महान है  यहाँ का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा यहाँ की पवित्र नदी है गंगा      हिमालय यहाँ का पर्वतराज सम्राट है रखवाली उत्तर की करता,अटल खड़ा विराट है यह चिर महान हैं, राष्ट्र की शान है भारतवर्ष महान है महान है महान है मेरा देश व

गुरु तो ईश है - रामजी रामेष्ट दौदेरिया

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शीर्षक -  गुरु तो ईश है  कवि -  रामजी रामेष्ट दौदेरिया  गुुरु तो ईश है ,गुुरु से ज्ञान है, ज्ञान से इंसान है  बिन गुुरु ज्ञान नहीं ,बिन ज्ञान इंसान अज्ञान है   गुरु प्रेरणा देता हमे सत्य मार्ग पर चलने की  साहस देता जीवन में विपत्तियों से लड़ने की  गुरु ज्ञान से प्राप्त होती जीवन में सफलता  जीवन धन्य उसका जो गुुरु की राह पर चलता  जग में यश पाता जो गुुरु का करता सम्मान है  गुुरु तो ईश है ,गुुरु से ज्ञान है ,ज्ञान से इंसान है   बिन गुुरु ज्ञान नहीं ,बिन ज्ञान इंसान अज्ञान है          अज्ञान को ज्ञान देता गुरु वो प्रकाश है  प्रकाशमय जीवन उसका, जिसका गुुरु पर विश्वास है   गुुरु को छोड़ ज़रूरत नहीं कही भटकने की     ज़रूरत है गुुरु ज्ञान को जग में बाँटने की  गुुरु के उपदेशों पर करना चाहिए ध्यान है  गुरु तो ईश है ,गुरु से ज्ञान है , ज्ञान से इंसान है  बिन गुुरु ज्ञान नहीं ,बिन ज्ञान इंसान अज्ञान है          करता गुरु सर्वश्रेष्ठ मार्गदर्शन है   सच्चाई देखाता जीवन की, गुुरु वो दर्पण है        गुुरु ज्ञान का भंडार हैं      तीर्थ पथ, मंदिर का द्व

जीवों पर दया करो - रामजी रामेष्ट दौदेरिया

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शीर्षक -  जीवों पर दया करो  कवि -  रामजी रामेष्ट दौदेरिया  जन जन के मन मन में दिखती नहीं दया की उम्मीद प्रेम नहीं जीवों से, आँखो में हैं स्वार्थ ईष्या की नीद           पशु पक्षी दुखी हैं प्यासे हैं भूखे हैं  चर भूमि में चारा नहीं जलाशय सारे सूखे हैं     कहाँ से ये जल और भोजन ग्रहण करें  इंसान सोचता नहीं कैसे ये अपना पेट भरे      पशु पक्षियों के बारे में कोई नहीं करता है विचार अपना पेट भरने के लिए इंसान करते इन की शिकार कितने जीव समाप्त हो गए और समाप्त होते जा रहे  मानव बन के दानव इन का भकक्षण करते जा रहे  हे नर दया करो जीवों पर इन्हें ना सताओ  अपने पेट के लिए इन्हें ना अहार बनाओ  पक्षियों को कैद करो ना  पिंजड़े में  इन्हें भी दर्द होता अपनो से बिछड़े में  इन जीवों का जीवन और संसार सारा हैं  जैसे दुनिया तुम्हारी जीवन तुम्हारा हैं इन्हें अपना जीवन जीने का अधिकार हैं जो जीवों को शिकार बनाए उन पर धिक्कार हैं                                         -  रामजी रामेष्ट दौदेरिया          रामजी रामेष्ट दौदेरिया 

मानवता - रामजी रामेष्ट दौदेरिया

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शीर्षक  -  मानवता  कवि    -  रामजी रामेष्ट दौदेरिया  स्वार्थ के लिए अपने , क्यों सताते मानव को मानव   जगत में कर्म बुरे करते मानव , क्यों बनते दानव          इंसान एक दूसरे को देते कष्ट और शूल       मानवता धर्म नहीं निभाते , क्यों जाते भूल         सारे बुरे कर्म करते , दूसरों का रक्त बहाते       अनेक पाप कमाते , घड़ा पाप का भरते जाते                भर कर फूटता घड़ा पाप का जब              बच नहीं सकते ईश के प्रकोप से तब    ईश्वर भी क्षमा नहीं करता , सताता मौत का भय     पाप करते रहे, पुण्य नहीं किए सोचते तब  यह  भेजा नर को ईश ने करने पुण्य सत्यकर्म और दान  बुद्धि ज्ञान विकसित पास तुम्हारे क्यों बनते अज्ञान    दूसरों को पीड़ा देना समाप्त करो हे नर    विनय करो ईश से ना भटके जीवन पथ पर  अपने कष्ट पीड़ा से जीवन में ना विचलित होना  जीवन एक युद्ध हैं धैर्य रखना , ना साहस खोना   जीवन में हमारे अनेक कष्ट हैं आते     उन सब से हम संघर्ष करते जाते  इतना साहस होना चाहिए भीतर हमारे  सागर में नीर , नभ में चमके जितने तारे     हर इंसान के जीवन में सुख दुख आता है             

छूना आसमान - रामजी रामेष्ट दौदेरिया

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शीर्षक - छूना आसमान है  कवि -  रामजी रामेष्ट दौदेरिया   मेरा अरमान है छूना आसमान है काँटो की राहों पर चलना है कठिन हलातो से लड़ना है बिन धागे की पतंग बन के उड़ना है कुएँ से पानी भरना है अपने कर्मों से मानवता के धर्मो से,जीतना जहान है मेरा अरमान है छूना आसमान है लक्ष्य कितना बड़ा, कितनी ही बड़ी हो प्यास  परिश्रम से, सफलता की पूरी होती आस श्रम से पहुँच जाता इंसान अपने लक्ष्य के पास मजबूत रखना बस अपना आत्म विश्वास    बनना परिश्रमी आत्मबलवान हैं मेरा अरमान है छूना आसमान है                             - रामजी रामेष्ट दौदेरिया  रामजी रामेष्ट दौदेरिया