छूना आसमान - रामजी रामेष्ट दौदेरिया
शीर्षक - छूना आसमान है
कवि - रामजी रामेष्ट दौदेरिया
मेरा अरमान है
छूना आसमान है
काँटो की राहों पर चलना है
कठिन हलातो से लड़ना है
बिन धागे की पतंग बन के उड़ना है
कुएँ से पानी भरना है
काँटो की राहों पर चलना है
कठिन हलातो से लड़ना है
बिन धागे की पतंग बन के उड़ना है
कुएँ से पानी भरना है
अपने कर्मों से मानवता के धर्मो से,जीतना जहान है
मेरा अरमान है
छूना आसमान है
लक्ष्य कितना बड़ा, कितनी ही बड़ी हो प्यास
मेरा अरमान है
छूना आसमान है
लक्ष्य कितना बड़ा, कितनी ही बड़ी हो प्यास
परिश्रम से, सफलता की पूरी होती आस
श्रम से पहुँच जाता इंसान अपने लक्ष्य के पास
मजबूत रखना बस अपना आत्म विश्वास
श्रम से पहुँच जाता इंसान अपने लक्ष्य के पास
मजबूत रखना बस अपना आत्म विश्वास
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