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बलात्कारियों को फाँसी हो - रामजी रामेष्ट दौदेरिया

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शीर्षक -  बलात्कारियों को फाँसी हो  कवि -  रामजी रामेष्ट दौदेरिया  क्यों थम नहीं रहा हैं ये सिलसिला बलात्कार का  शासन प्रशासन जिम्मेदार या संविधान बेकार का            कठोर से कठोर कानून बनेगा कब  बलात्कारियों को ज़िंदा जलाओ, फाँसी दो अब  शासन प्रशासन संविधान से            बेटियों की रक्षा ना हो  पायेगी सुरक्षित होगी जब स्वयं बेटी,  दुर्गा काली, रानी झाँसी वाली बन जायेगी  बलात्कारियों को ना माफ़ी हो  फाँसी हो बस फाँसी हो फाँसी हो  इंसानियत हो रही शर्मसार  हर दिन हो रहे यहाँ बलात्कार  हे देश की बहनों बेटियों हम शर्मिंदा हैं  बलात्कारी दुराचारी समाज में अभी ज़िंदा हैं                                           - रामजी रामेष्ट दौदेरिया  रामजी रामेष्ट दौदेरिया 

बढ़ता प्रदूषण जिम्मेदारी हमारी - रामजी रामेष्ट दौदेरिया

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शीर्षक - बढ़ता प्रदूषण हमारी जिम्मेदारी  कवि -  रामजी रामेष्ट दौदेरिया  हम ने ही घोला सारे वायुमंडल में प्रदूषण  प्रकृति के दुश्मन हम, बन गये खर दूषण     ये जिम्मेदार वो जिम्मेदार कहना बंद करो                 एक दूसरे पर ना तंज़ करो            हम हैं जिम्मेदार ये स्वीकार करो    मिल कर समाधान करो , स्थिति ना बेकार करो  कुदरत ने हमें अमृत दिया, हम ने इसे ज़हर किया          अपना जीवन स्वयं हम कहर किया                    धूम्रपान हम करते                    हरे भरे पेड़ हैं मरते  कारख़ानों से निकलते धुआँ   देखो बन रहे हैं ज़हर के कुआँ  दूषित कर देते हम स्वच्छ ताजी वायु को  स्वयं नष्ट  करते हम अपने जीवन आयु को    प्रकृति ने दिया हमे हर मौसम रंगीला   सुनहरी भरी धरती और अंबर नीला  हम ने बना दिया सारा वायुमंडल ज़हरीला  हम इंसानों का दिल दिमाग हो गया पथरीला  हम ने ही घोला सारे वायुमंडल में प्रदूषण   प्रकृति के दुश्मन हम बन गये खर दूषण                                          - रामजी रामेष्ट दौदेरिया                               रामजी रामेष्ट दौदेरिया