जीवों पर दया करो - रामजी रामेष्ट दौदेरिया

शीर्षक -  जीवों पर दया करो 
कवि -  रामजी रामेष्ट दौदेरिया 


जन जन के मन मन में दिखती नहीं दया की उम्मीद
प्रेम नहीं जीवों से, आँखो में हैं स्वार्थ ईष्या की नीद 
         पशु पक्षी दुखी हैं प्यासे हैं भूखे हैं 
चर भूमि में चारा नहीं जलाशय सारे सूखे हैं 
   कहाँ से ये जल और भोजन ग्रहण करें 
इंसान सोचता नहीं कैसे ये अपना पेट भरे 


    पशु पक्षियों के बारे में कोई नहीं करता है विचार
अपना पेट भरने के लिए इंसान करते इन की शिकार
कितने जीव समाप्त हो गए और समाप्त होते जा रहे 
मानव बन के दानव इन का भकक्षण करते जा रहे 
हे नर दया करो जीवों पर इन्हें ना सताओ 
अपने पेट के लिए इन्हें ना अहार बनाओ 


पक्षियों को कैद करो ना  पिंजड़े में 
इन्हें भी दर्द होता अपनो से बिछड़े में 
इन जीवों का जीवन और संसार सारा हैं 
जैसे दुनिया तुम्हारी जीवन तुम्हारा हैं
इन्हें अपना जीवन जीने का अधिकार हैं
जो जीवों को शिकार बनाए उन पर धिक्कार हैं
                                        -  रामजी रामेष्ट दौदेरिया 
       
रामजी रामेष्ट दौदेरिया 

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