संतों को न्याय मिले - रामजी रामेष्ट दौदेरिया
शीर्षक - संतों को न्याय मिले
कवि - रामजी रामेष्ट दौदेरिया
भारत पुरातन से तपों भूमि अनंतों की हैं
ऋषी मुनि सन्यासी संतों की हैं
परंतु आज इन से ही हैवानियत हो रही है
शर्मसार आज इंसानियत हो रही है
गद्दारो की भीड़ ने संतों पर आघात किया
हत्यारों ने बहुत कुरुरता से संतों पर घात किया
हृदय को बहुत दुख हुआ बहुत शोक हुआ
संतों की हत्या से हम को बहुत अफ़सोस हुआ
हत्यारों ने लाठी पत्थरों से उन पर वार बार बार किए
जब तक उन की मौत नहीं हो गई तब तक उन पर प्रहार किए
खाकी वाले मूक दर्शक बने खड़े रहें
संत जीवन की भीख माँगते उन के चरणों में पड़े रहें
जो कहते ज़रा ज़रा सी बात में देश का महौल हो रहा आशांत
अब क्यों वे नेता मौन धारण किए बैठें हैं शांत
जो कहते हैं डर लगता इस देश में हम डरें हुए हैं
अब क्यों उन की जुबान नहीं खुलती अब क्या वे मरे हुए हैं
कब मिलेगा न्याय संतों को कब बदला लिया जाएगा
क्या तब जागेगा सनातन जब शिकार अगला किया जाएगा
फाँसी पर लटका दो या ज़िंदा जला दो
हत्यारों को कठोर मौत की सजा दो
तभी संतों के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी
उन की आत्मा को तभी शांति होगी
- रामजी रामेष्ट दौदेरिया
रामजी रामेष्ट दौदेरिया
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