कुम्भकरण और विभीषण विश्लेषण - kumbhakarn and vibhishan analysis by Ramji Ramesht dauderiya
हर मुसीबत में भाई ही भाई के साथ आता है, अगर आप पर कोई समस्या आ गई सारी दुनिया आप के खिलाफ हो गईं तो एक सच्चा भाई धर्मात्मा भाई ( जो भाई का साथ देने में अपना धर्म समझता हो ) आप का साथ ज़रूर देगा, अगर आप कुछ गलत भी कर रहो हो तो भी वह आप का साथ देगा लेकिन कुछ भाई ऐसे भी होते हैं जो अपने भाई को मुसीबत में छोड़ कर चलें जाते हैं, भाई को मुसीबत में छोड़ के चलें जाना अधर्म है और उससे भी बड़ा अधर्म भाई का साथ छोड़ कर उसका साथ देना जो तुम्हारे भाई का दुश्मन है ऐसा कर के तुम अपने भाई की समस्या और बढ़ा रहें हो भाई भाई के रिश्ते में अगर धर्म और अधर्म की व्याख्या जाननी है तो विभीषण और कुम्भकरण से सटीक उदाहरण दूसरा और कोई नहीं है कुम्भकरण तथा विभीषण पर एक संक्षिप्त विश्लेषण ऋषी विश्वश्ववा की दूसरी पत्नी कैकसी से जन्मे रावण, कुम्भकर और विभीषण... विभीषण की दृष्टि में धर्म जब रावण माता सीता का हरण कर लाया तब विभीषण ने रावण को बहुत समझाया बार बार समझाया - श्री रामचरितमानस के सुंदर कांड में गोस्वामी तुलसीदास जी ने लिखा है - अवसर जानि विभीषनु आवा ! भ्राता चरन सीसु तेहिं नावा !! पुनि सिरु
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