ये है बड़े दुख की बात है - रामजी रामेष्ट दौदेरिया

कविता - ये है बड़े दुख की बात है 

कवि - रामजी रामेष्ट दौदेरिया 


        कृषक और कृषि महान 

यही देते मानव को सच्चा जीवन दान 

हम जी लेगे बिना व्यापारी बनावटी समान 

पर जी नहीं पाएगे बिना किसान बिना धान 

परन्तु आज मानव इनसे हैं अनजान 

     कर रहा प्रकृति का नुकसान 

पेड़ अधिक होने की जगह कम हो रहे 

       तभी तो गर्मी से हम रो रहे 

तभी तो प्राणवायु की वजह से हम मौत की नीद सो रहे 

     क्यों हम अपने कुकर्म के बीज बो रहे 

भगवान होने, नहीं होने के सवाल कर रहे 

इंसान आज भगवान से बवाल कर रहे 

एक दिन आयेगी मृत्यु ये भी भूलते जाते 

बस अपने सुख भोग के झूले में झूलते जाते 

माया में फँसे होगे, जब आयेगी मृत्यु की बारात !

             ये है बड़े दुख की बात !!



आज वो इंसान होकर इंसान नहीं है 

     जो कहते भगवान नहीं है 

      ये सारी सृष्टि किस ने बनाई 

    पेड़ किसने बनाए वायु किस ने चलाई 

जल आग वन झील नदियाँ पर्वत और समन्दर 

       चाँद तारे सूर्य पृथ्वी और अम्बर 

      सारी सृष्टि के रचयिता ईश्वर है 

सारे जगत के स्वामी वे ही जगदीश्वर है 

ईश्वर ही निश्चित करते जन्म मरण 

    ईश्वर की देन है रूप रंग वरण 

आधुनिक विज्ञान के बिना जीवन हमारा चल जाएगा 

    पर ईश्वरीय विज्ञान के बिना इंसान मर जाएगा 

       क्या वायु के बिना हम श्वास ले सकते हैं 

         क्या जल पीये बिना हम जी सकते हैं 

         क्या अन्न बिना हम भूख मिटा सकते हैं 

       फिर क्यों मिटा रहें हम ईश्वर की दी हुई सौगात !

                  ये है बड़े दुख की बात !!

                               - रामजी रामेष्ट दौदेरिया 

रामजी रामेष्ट दौदेरिया 
लेखक कवि 

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

कुम्भकरण और विभीषण विश्लेषण - kumbhakarn and vibhishan analysis by Ramji Ramesht dauderiya

राम नाम का गुणगान - रामजी रामेष्ट दौदेरिया

आज कल के नेता - रामजी रामेष्ट दौदेरिया